Rising Youth Foundation के माध्यम से शुभम डिक्सेना दे रहे दिव्यांगों और वंचित लोगों को डिजिटल शिक्षा; तकनीक और समानता से देश में मनवा रहे लोहा
देश में ऐसे भी लोग है जो दिव्यांगों और वंचित लोगों के बारे में बखूबी सोच रहा है | देश के प्रधानमंत्री ने भी इस क्लास को “दिव्यांग” शब्द से विभूषित किया था | उसी से प्रभावित होकर शुभम ने Rising Youth Foundation संस्था के माध्यम से दिव्यांगजनों और समाज में मौजूद वंचित वर्ग के बारे में सोचना शुरू किया | इसके साथ ही शुभम की संस्था ने सतत विकास लक्ष्य के एजेंडा को भी ध्यान में रखते हुए काम करना शुरू किया | दिव्यांगजनों और वंचित समाज़ के लोगों को डिजिटल तकनीक तथा डिजिटल रूप से स्मार्ट बनाना इस संस्था का मूल उद्देश्य है |
सबसे ख़ास बात इस संस्था कि यह है कि यह दिव्यांगों के साथ मिलकर काम करती है तथा उनसे संबंधित सभी चीजों का निराकरण भी करती है | दिव्यांगजनों का प्रमाण पत्र बनाने से लेकर समाज़ में उनके लिए मित्रवत माहौल बनाना भी इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है | उनके लिए सरकार की तरफ़ से दिए जा रहे सुविधाओं के बारे में भी शुभम अपनी संस्था के माध्यम से उन्हें जागरूक करते है | इसके साथ ही शिक्षा से संबंधित छात्रवृत्ति से लेकर उनके लिए मौजूद कोटा के बारे में भी लोगों को बताते है | कुल मिलाकर देखा जाएं तो शुभम की संस्था पूर्ण रूप से उनके लिए एक वरदान के रूप में खुद को स्थापित कर चुकी है | ऐसे बहुत कम लोग ही है जो उनके लिए भी सोचते है |
Rising Youth Foundation ने कायम की मिसाल
इसके साथ ही शुभम और उनकी संस्था Rising youth Foundation ने शिक्षा के गुणवत्ता पर भी काफी ध्यान दिया है | समाज़ के हर व्यक्ति तक इसका लाभ पहुचें इसके लिए Rising Youth Foundation संस्था प्रयासरत है और अपनी दिशा में आगे काम कर रही है | युवाओं को फेलोशिप और छात्रवृत्ति के बारे में बताना भी संस्था का मुख्य उद्देश्य है | युवाओं को उनके कैरियर के बारे में और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन कॉलेज में दाखिला लेने के लिए संस्था सही दिशा और मार्गदर्शन मुहैया करवाती है | यह सारी सुविधाएं संस्था वंचित समाज़ के बच्चों को मुहैया करवाती है ताकि उन्हें आनी वाली बाधाओं के बारे में नहीं सोचना पड़े | इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी संस्था काफी मददगार साबित हो रही है |
शुभम से हुई बातचीत में यह पता चला कि अभी भी हमारे राज्य और देश में दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल वातावरण का घोर अभाव है | न तो सड़क पर उनके लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था है और न ही कहीं बैठने की व्यवस्था | इसके साथ ही कहीं भी दिव्यांग लोगों के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं किया गया है | सीढ़ियों से उन्हें चलने में काफी परेशानी होती है | अगर उनके लिए अलग से रैंप की व्यवस्था हो जाएं तो काफी बेहतर माना जायेगा | बहुत सारी चीजों का घोर अभाव अभी भी देखा जा सकता है और महसूस किया जा सकता है | आने वाले समय में इन सारी समस्याओं का निराकरण करना बेहद आवश्यक है | हमारे देश में जहाँ दिव्यांग लोगों की संख्या बेहद ज्यादा है और इनके लिए सोचना अत्यंत आवश्यकता है | स्कूल कॉलेजों में उनके लिए न तो स्लोप की व्यवस्था है न ही रैंप की | उनको भी सामान्य लोगों के जैसा ही आँका जाता है | इसपर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है |
शुभम छत्तीसगढ़ के छोटे से जिले कोरबा के एक छोटे से गाँव से आते है | शुरुआती शिक्षा हिंदी मीडियम में होने की वजह से उन्हें बहुत अवसर नहीं मिल पाएं | इसी को ध्यान में रखते ही शुभम ने वंचित लोगों और दिव्यांग लोगों के लिए कुछ करने का ठाना | उनका कहना है कि जिस अवसर के लिए उन्हें भटकना पड़ा कम से कम वंचित और दिव्यांग लोगों को उस समस्या से सामना न करना पड़े | इसके साथ ही दिव्यांग लोगों के साथ काम करने के पीछे भी एक भावुक यादें शुभम के साथ जुड़ी हुई है | उनके परिवार में ही एक व्यक्ति व्हील चेयर पर है और शुभम ने उन्हें काफी करीब से देखा है |
शुभम और उनकी संस्था की पवित्र सोच के पीछे उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प है | आने वाले समय में शुभम और उनकी संस्था काफी कुछ करेगी ऐसा विश्वास है |
One Comment