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पहले लिया स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, फ़िर Mahavir Mandir की आय से कर रहे अस्पताल में मरीजों की सेवा; आइये जानते है आचार्य किशोर कुणाल के बारे में

व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाएं, लेकिन वहीं व्यक्ति महान कहलाता है जिसने अपने समाज़ और वहाँ रहे लोगों के बारे में सोचा हो | पैसा तो बहुत लोग कमाते है लेकिन वो इज्जत और वो सम्मान सभी के लिए एक जैसा नहीं होता है | आज हम बात एक ऐसे ही पूर्व IPS अधिकारी की कर रहे है जिन्होंने अपना जीवन लोगों की सेवा और भक्ति भाव में समर्पित कर दिया | भक्ति भाव और ईश्वर के प्रति समर्पण ऐसी कि उन्होंने IPS की नौकरी भी छोड़ दी और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली | पटना के Mahavir Mandir से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली।

इसके बाद वह भक्ति भाव में लीन हो गए | महावीर मंदिर पटना ही नहीं बिहार के साथ साथ पूरे देश में प्रसिद्ध है | धर्म, आस्था और समाजसेवा एक दूसरे के पर्याय है और मौजूदा समय में इसके ध्वजवाहक कोई और नहीं बल्कि आचार्य किशोर कुणाल है। धर्म और आस्था का नाम सुनकर आप सोच रहे होंगे कि यह काफी शांत और कोमल स्वभाव के होंगे | लेकिन आप बिल्कुल गलत सोच रहे है | जब यह IPS अधिकारी हुआ करते थे तो इनकी तूती बोलती थी और अपने कार्य को यह बखूबी अंदाज़ में अंज़ाम देते थे | पूर्व आईपीएस अधिकारी कुणाल जी की छवि एक दबंग वाली हुआ करती थी। धार्मिक जीवन से पहले इनकी छवि एक कुशल प्रशासक के तौर पर हुआ करती थी |

इसके बाद भी सामजिक जीवन और धार्मिक सोच के साथ जैसे जैसे किशोर कुणाल जी जीवन में आगे बढ़ते रहे वैसे वैसे उन्होंने धर्म और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार उपलब्धियां हासिल की। इस उपलब्धि को आगे भी पूरा करते जा रहे है | मंदिर की आय से उन्होंने न जाने कितने अस्पतालों का निर्माण करवाया और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की | आपको जानकर हैरानी होगा कि उन्होंने मंदिर की आय से बिहार में महावीर कैंसर संस्थान समेत 23 अस्पतालों का निर्माण करवाया |

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में किशोर कुणाल का जन्म हुआ। शुरू से ही उन्हें संस्कृत भाषा में काफी रुचि थी। उन्होंने इसके बाद संस्कृत भाषा में ही पढ़ाई पूरी की। संस्कृत और इतिहास वैकल्पिक विषय रखकर उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में अपना स्थान पक्का किया। भारतीय पुलिस सेवा में उन्होंने अपनी छवि एक दबंग कड़क और दमदार पुलिस अधिकारी के रूप से दर्ज करवाई। पटना के एसपी रहते हुए उन्होंने काफी काम किया और फ़िर पटना स्थित महावीर मंदिर से जुड़े।

साल 1987 में उन्होंने आखिरकार महावीर मंदिर ट्रस्ट बनाकर समाजसेवा की दुनिया में कदम रख दिया। आपकी जानकारी के लिए बात दे कि जब किशोर कुणाल महावीर मंदिर से जुड़े तो उस वक्त मंदिर की सालाना आय मात्र 11 हजार रुपये थी। लेकिन जैसे जैसे उन्होंने अपने अनुभव से काम किया और इस दिशा में अमूलचुल परिवर्तन किया, सालाना आय रिकॉर्ड पर पहुँच गया। आज के समय में मंदिर का बजट 300 करोड़ रुपये पहुँच चुका है। साथ ही महावीर मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड को 55 लाख रुपये सालाना शुल्क देता है। यह अपने आप में बड़ी बात है।


महावीर मंदिर ट्रस्ट की आय से उन्होंने राजधानी पटना में 12 दिसंबर 1998 को कैंसर के इलाज के लिए महावीर कैंसर अस्पताल खोला। यह आपने आप में एक प्रयोग था क्योंकि इससे पहले बिहार में कैंसर संस्थान नहीं था। लोगों को बिहार से बाहर कैंसर के ईलाज के लिए जाना पड़ता था। अब बिहार के लोग भी अपने घर में कैंसर का ईलाज करवा सकते है।इतना ही नहीं महावीर कैंसर अस्पताल खुलने के बाद मरीजों को बहुत ही कम दामों में कैंसर के इलाज की सुविधा मिलने लगी। अभी के आकड़ों के मुताबिक साल में पांचलाख से अधिक कैंसर मरीज इस अस्पताल में इलाज करवाते है। सिर्फ़ बिहार ही नहीं बल्कि भारत से बाहर पड़ोसी मुल्क जैसे कि नेपाल और बांग्लादेश के मरीज भी कैंसर संस्थान में ईलाज करवाते है।

किशोर कुणाल हिन्दू धर्म की परोपकार नीति से प्रभावित होते रहते है। उन्होंने इसी नीति से प्रभावित होकर ट्रस्ट की आय से एक जनवरी 1989 को पहला अस्पताल पटना के किदवईपुरी में खोला। उसके तुरंत बाद चिरैयाटांड़ में बड़े पैमाने पर इसे बनाया गया। आज महावीर आरोग्य अस्पताल आम बीमारियों के इलाज के लिए जीवनदान साबित हो रहा है।। इसके साथ ही महावीर नेत्रलाय, महावीर वात्सल्य संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान आदि अस्पताल बिहार में ध्वजवाहक के रूप में प्रदर्शित हो रहे है।

इसके साथ ही बिहार के अन्य जगहों पर भी किशोर कुणाल के नेतृत्व में काफी अस्पतालों का संचालन हो रहा है और गरीब लोगों को इससे काफी मदद पहुँच रही है। मरीजों को खासकर काफी आराम मिल रहा है। बिहार के अन्य जगह जैसे कि हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, जनकपुर, मोतिहारी आदि शहरों में मंदिर ट्रस्ट की ओर से कई अस्पताल खोले जा चुके है। इतना ही नहीं अस्पतालों में कम कीमत पर मिलने वाली दवाई के लिए अलग से दुकान भी खोला गया है।

एक बेहतर सोच के साथ आगे बढ़ रहे कुणाल ने अपने जीवन काल में खासा मुकाम हासिल किया है। उनके इस लगन और मेहनत की बदौलत गरीब लोगों के जीवन में रौशनी छाई हुई है। आने वाले समय में किशोर कुणाल के द्वारा और भी कई योजनाएं है जिसे गरीब और असहाय लोगों को काफी मदद पहुँच सकती है।

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