बिहार के DGP से कथावाचक तक का सफ़र; गुप्तेश्वर पांडे ने लगन और परिश्रम के जरिए विश्व के विभिन्न कोने में लहराया परचम
एक ऐसा शख़्स जिसने पुलिस विभाग के सबसे ऊँचे पद पर अपने कर्तव्य का निर्वहन बखूबी किया | उसके बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर देश विदेश में कथा का पाठ करने लगे और धर्म और सेवा भाव से जुड़ गए | जी हां! आज बात ऐसे ही शख़्स की कर रहे है जिन्होंने अपने लगन और परिश्रम से दुनिया को बात दिया कि अगर हुनर हो तो किसी भी कार्य को अंजाम दिया जा सकता है | वह सिर्फ़ अपने विभाग में ही सफ़ल नहीं रहे बल्कि सामाजिक जीवन में भी काफी सक्रिय रहें | समाज़ और अपने लोगों से जुड़ाव इतना था कि बिहार के डीजीपी रहते उन्होंने अपने गांव और घर के लोगों से मुलाकात करनी नहीं छोड़ी | अपनी मिट्टी से इतना लगाव शायद की किसी और में होगा | अभी भी वह अपनी मिट्टी और अपनी जन्मभूमि से इतना प्रेम करते है कि वहाँ के सभी दुख सुख में शामिल होते है | बिहार के DGP रहते हुए भी उन्होंने अपनी मिट्टी को नहीं छोड़ा |
गुप्तेश्वर पांडे एक दमदार और बोल्ड छवि के रूप में पहचाने जाते है | जब वह बिहार के DGP हुआ करते थे तो उनकी धमक और उनके द्वारा लिए गए फैसलों का लोहा लोग भी मानते थे | बेबाक और हाज़िर जवाबी तो वह बचपन से ही थे | उनकी इसी शैली के वजह से लोग उनके मुरीद है | साल 1961 में DGP पांडेय का जन्म बिहार के बक्सर जिले में हुआ | उनकी शुरुआती शिक्षा गांव से ही पूरी हुई। बेहद ही गरीब परिवार से आने वाले गुप्तेश्वर पांडे का बचपन ग़रीबी में बीता और वह काफी कष्टप्रद था | लेकिन उसी सबके बीच पांडे का हौसला बुलंद था | उन्होंने सारी चुनौती को पार करते हुए गांव में शुरुआती शिक्षा हासिल की | गुप्तेश्वर पांडे ने स्कूली शिक्षा जमीन और बोरा पर बैठकर पूरी की | कभी कभी टाट पर बैठकर भी वह पढ़ा करते थे |
ग्यारहवीं कक्षा में फेल होने के बावजूद UPSC की कठिन परीक्षा पास की; बने बिहार के DGP
आपको जानकर हैरानी होगी कि एक बार वह ग्यारहवीं कक्षा में फेल हो गए थे | लेकिन कहते है न कि अगर हौसलों में जान हो तो कोई भी ताकत आपको सफलता से नहीं रोक सकती है | ठीक उसी प्रकार गुप्तेश्वर पांडे के हौसलों में जान भी थी और उड़ान भी थी | फेल होने के बावजूद उन्होंने UPSC की परीक्षा पास की और IPS बन गए | उन्होंने खुद बताया कि स्कूल में उनकी गिनती औसत छात्रों की श्रेणी में होती थी | वह काफी कमजोर हुआ करते थे | फिजिक्स, केमेस्ट्री जैसे कठिन विषयों में उनका मन नहीं लगता था और वह काफी कमजोर थे | 6 क्लास तक तो उन्हें अंग्रेजी के अक्षरों का भी ज्ञान नहीं था।
उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के जरिए UPSC की कठिन परीक्षा पास की | उनका वैकल्पिक विषय संस्कृत था | उन्हें संस्कृत विषय में काफी मन लगता था और इसी के फलस्वरूप उन्होंने UPSC की परीक्षा में संस्कृत विषय का चयन किया |
शराबबंदी में गुप्तेश्वर पांडे की धमक देखने को मिली
साल 2015 में बिहार में शराबबंदी के फैसले के बाद चले कैंपेन में गुप्तेश्वर पांडेय की धमक काफी देखने को मिली | उन्होंने औचक निरीक्षण और जगह-जगह मुआयना कर यह बता दिया कि क्यों उनकी गिनती दमदार और बोल्ड ऑफिसर के रूप में की जाती है | इतना ही नहीं उन्होंने कई नक्सल इलाकों में पोस्टिंग के दौरान कई सारे सफ़ल ओपरेशन किया जिसकी वजह से उन्हें आज भी याद रखा जाता है। नक्सलियों और गुंडे भी उनकी इस बोल्ड छवि से काफी खौफ खाते थे | विभिन्न जिलों में हालात को सुधारने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदम आज भी लोगों के दिमाग में ज्यों का त्यों है | कई सारे दंगों को इन्होंने अपने बल बूते संभाल लिया था |
भगवद्कथा के माध्यम से विश्व में बजा रहे है डंका
आपको बता दे कि 23 सितंबर 2020 को 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया था | उसके बाद से उन्होंने सादगी भरा जीवन शुरू किया | उन्होंने साधु का वेश धारण किया और देश विदेश में भगवद्कथा का पाठ करना शुरू कर दिया | शुरू से ही गुप्तेश्वर पांडेय का लगाव अध्यात्म से रहा | अपने कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने पूजा पाठ को सर्वोपरि रखा और उनकी रुचि बनी रही | स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद से उन्होंने कथा वाचक के रूप से देश के विभिन्न जगह जाकर पाठ शुरू किया | इस क्षेत्र में भी उन्हें अपार सफ़लता मिली और साल भर के अंदर ही उन्होंने विदेशों में भी कथा शुरू कर दी | 8-10 देशों में वह भगवद्कथा का पाठ कर चुके है और लोगों को अध्यात्म से जोड़ रहे है | लोगों की रुचि भी काफी देखने को मिल रही है |
सुशांत सिंह राजपूत मामले में भी DGP गुप्तेश्वर पांडेय के बेबाकी का चर्चा लोगों को कर गया दीवाना
सुशांत सिंह राजपूत हत्याकांड मामले में भी गुप्तेश्वर पांडेय का बेबाक अंदाज़ सभी को कायल कर गया | उन्होंने बखूबी अंदाज़ में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी और पीड़ित परिजनों को न्याय दिलाने के लिए अपनी आवाज़ उठाई | गुप्तेश्वर पांडेय जैसे शख़्स ने पुलिस विभाग की कार्य कुशलता और कार्य क्षमता दोनों को ऊंचा किया है |