किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए, ये है भारत सरकार की 6 किसान प्रधान योजनाएं – Part 2
भारत संवाद के माध्यम से हमने एक लेख में बताया की किस तरह से किसानो की आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने के लिए, भारत सरकार कुछ किसान प्रधान योजनाओं पे काम कर रही है। उसी श्रंखला में हम लेके आये है ६ और ऐसी योजायें जो बदल रही है किसानों के काम के तरीके, दे रही है उनको एक बेहतर ज़िन्दगी जीने का अवसर और ला रही है उनकी आर्थिक स्थिति में बेहतरी
7. डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस)
किसानों की आय को बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को सुधारनें के उद्देश्य से डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) का संचालन केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है | हमारे देश के लगभग किसान पशुपालन अवश्य करते है | सरकार का मानना है, कि यदि यही कार्य एक बड़े पैमाने पर किया जाए, तो अच्छी मात्र में दुग्ध उत्पादन किया जा सकता है और किसान भाई अपनी आय बढ़ा सकते है |
इस योजना का लाभ लेकर किसान या पशुपालक नई डेयरी की स्थापना कर सकते हैं, यदि वह पहले से डेयरी चला रहें हैं, तो उसे आगे बढ़ा सकते हैं | इस योजना के माध्यम से किसान को अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है, इसके साथ ही किसान भाई प्रशिक्षण भी ले सकते है |
8. पशुधन बीमा योजना
इस योजना की शुरुआत मुख्य रूप दो उद्देश्यों से की गयी है | किसानों या पशुपालकों को पशुओं की अचानक मृत्यु हो जानें पर उन्हें आर्थिक क्षति काफी होती है| इस प्रकार की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार द्वारा पशुधन बीमा योजना चलायी जा रही है| योजना के अंतर्गत दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है|
बीमा का प्रीमियम 50 प्रतिशत तक अनुदानित होता है। अनुदान की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है। अनुदान का लाभ अधिकतम 2 पशु प्रति लाभार्थी को अधिकतम तीन वर्ष की एक पॉलिसी के लिए मिलता है। इसके साथ ही इस स्कीम के अंतर्गत यदि कोई किसान अपनें पशुओं की बिक्री कर देता है, और बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त न हुई हो तो बीमा पॉलिसी की शेष अवधि का लाभ नये स्वामी को हस्तांतरित किया जाएगा।
9. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
किसानों के द्वारा अपनें खेतों में उत्पादन बढ़ाने को लेकर असंतुलित उर्वरक का उपयोग कर रहे है | जिसके कारण मिट्टी उत्पादकता निरंतर कम होती जा रही है, इसके साथ ही फसलों में विभिन्न प्रकार के नए-नए रोग लग रहे है | खेत की उत्पादकता बढ़ने की जगह निरंतर कम होती चली जा रही है |
जबकि दूसरी तरफ अधिक उर्वरक तथा रोग के लिए कीटनाशक उपयोग करने से कृषि खर्च भी बढ़ रहा है | इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना संचालित की जा रही है | जिसमें किसानों की मिट्टी की जाँच वह भी निशुल्क की जाती है | खेत की मिट्टी की जाँच के दौरान यह ज्ञात हो जाता है, कि किसान के खेत में किस चीज की कमी है |
10. राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन योजना
हमारे देश की जनसँख्या लगातार बढ़ती जा रही है| ऐसे में सभी को भोजन सुनिक्षित कराने के लिए केंद्र सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन योजना की शुरुआत की है | इस योजना का मुख्य उद्देश्य गेहूँ, चावल व दलहन की उत्पादकता में वृद्धि करना है, ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके |
इस योजना के अंतर्गत चावल राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन, गेंहू राष्ट्रीय खाध सुरक्षा मिशन तथा दलहन राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन को शामिल किया गया है | इस योजना के अंतर्गत चावल के लिए 14 राज्य, गेंहू के लिए 9 राज्य तथा दलहन के लिए 16 राज्यों को शामिल किया गया है |
11. स्वायल हेल्थ कार्ड योजना
खेत में फसलों को बोनें के बाद फसलों की सेहत से सम्बंधित जानकारी होना भी एक अहम बिंदु है | जिस प्रकार मनुष्य के कुछ भी खाने-पीनें पर उसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है | ठीक उसी प्रकार फसलों को दिए गये खाद, पानी आदि का फसल पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसकी जानकारी के लिए सरकार द्वारा स्वायल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत की गयी है | फसलों को कब और कितनी मात्रा में क्या चीज देनी है, इसकी सटीक जानकारी होनें पर स्वाभाविक रूप से उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी, जिससे उन्हें अच्छी आय प्राप्त होगी | वर्ष 2015 से 2017 के बीच 10.73 करोड़ स्वायल हेल्थ कार्ड बनाए गए जबकि यह आंकड़ा 2017 से 2019 के बीच 10.69 रहा है |
12. जैविक खेती योजना
वर्तमान समय में उत्पादकता बढानें के लिए किसानों द्वारा रासायनिक खाद का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है | जिससे उत्पन्न अनाज, सब्जियों को खाकर लोग बीमार पड़ जाते हैं | इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा जैविक खेती योजना को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है|
जैविक खेती के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई, जिसके तहत किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक रूप से किस प्रकार कृषि की जाए और उस वक्त अनाज साग सब्जी का उत्पादन किया जाए| यहाँ तक कि जैविक खेती करनें वाले किसानों को सरकार की तरफ से पुरस्कृत भी किया जाता है| कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस समय देशभर में 27.10 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती की जा रही है |