मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से जंगल सत्याग्रह नायक गंजन सिंह कोरकू की कहानी
गुमनाम नायक/ गंजन सिंह कोरकू
पिछले 2 वर्षों से मध्यप्रदेश के बैतूल में चल रही जंगल सत्याग्रह फिल्म की शूटिंग बीते दिनों में सुर्खियों का विषय है। सत्याग्रह से जुड़े महान नायकों का संघर्ष व योगदान लेखक और डायरेक्टर प्रदीप उईके के द्वारा स्थानीय कलाकारों की सहायता से जल्द ही बड़े परदे पर लाया जाएगा। इसी विषय में आज हम बात करेंगे सत्याग्रह के महानायक गंजन सिंह कोरकू की।
कोरकु जिसका नाम सुनकर अंग्रेज थरथर कांपते थे…
वीरों की भूमि कहा जाने वाला आदिवासी बाहुल्य जिला बैतूल स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। मध्यप्रदेश के घोड़ाडोंगरी बेतूल में 1930 को जंगल सत्याग्रह गजन सिंह कोरकु के नेतृत्व मे स्थानीय वनवासियों द्वारा किया गया। अंग्रेजो के द्वारा लाए गए जंगल कानून का विरोध करते हुए यहां के स्थानीय आदिवासियों ने गांधीजी के आवाहन पर अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
क्या था अंग्रेजों द्वारा बनाया गया जंगल कानून
अंग्रेजो के विरोध में उतर आए स्थानीय लोग
दूसरे दिन और भी अधिक लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा और पुलिस अंग्रेजों के साथ फिर से मुठभेड़ हो गई क्योंकि सभा का नेतृत्व गंजन सिंह कोरकू कर रहे थे मामला इतना गंभीर हो गया था कि अंग्रेजों को नागपुर से अतिरिक्त सैनिकों की टुकड़ी मंगवानी पड़ी. सेना आई तो अपने बचाव में गंजन सी कोरूकू और अन्य आदिवासी पहाड़ पर चढ़कर बैठ गए । क्योंकि इन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश था । इनके ऊपर ₹500 की उस वक्त इनामी राशि भी घोषित की गई थी।
स्थानीय लोगों की प्रेरणा का स्रोत बने
2 Comments