भोपाल का गौहर महल, राजा भोज की नगरी भोपाल में बेगम सल्तनत की निशानी..
ऐतिहासिक इमारत/भारत संवाद
ऐतिहासिक दृष्टि से भारत देश का इतिहास समृद्धशाली रहा है.भारत की इस भूमि में एक से बढ़कर एक राजाओ महाराजाओं ने शासन किया है. इतिहास में वर्णित विभिन्न राजवंशों की सूची में मालवा क्षेत्र के महान शासक राजा भोज का जिक्र बड़े ही सम्मान के साथ किया जाता है. राजा भोज परमार वंश के बड़े वीर और प्रतापी राजा होने के साथ-साथ प्रकाण्ड पंडित और गुणग्राही भी थे। उनके द्वारा कई विषयों के अनेक ग्रंथों का निर्माण किया था.1000 ई से 1055 ई तक मालवा क्षेत्र में अपने कुशल नेतृत्व क्षमता के बदौलत राजा भोज(raja bhoj) ने अपने 55 वर्ष के कार्यकाल में कई क्षेत्रों नगरों को बसाने का कार्य किया. उसमें से एक नगर है, भोपाल जिसका निर्माण राजा भोज के कार्यकाल में हुआ. कभी राजा भोज की नगरी भोज पाल नाम से जाने वाला भोपाल पहले भू- पाल हुआ और आज उसका नाम भोपाल(bhopal) है.
परमार वंश के अस्त के बाद भोजपाल नगरी वर्तमान में भोपाल बाहरी आक्रांताओं का लूट पाट का शिकार बनता रहा। फिर तकरीबन 650 वर्ष बाद औरंगजेब के मौत के बाद दिल्ली से भागते समय औरंगजेब का अफगानी सिपाही दोस्त मोहम्मद भोपाल में बस गया वही से दोस्त मोहम्मद ने भोपाल में इस्लामिक रियासत का आरंभ किया. जिसके बाद से ही भोपाल में इस्लामी संस्कृति वास्तुकला का विकास हुआ.भोपाल की इस्लामी रियासत में आठवें शासक के रूप में एक महिला शासक ने भोपाल की गद्दी की कमान संभाली. उस महिला का नाम था बेगम कुदसिया जिसे गौहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है.बेगम कुदसिया ने ही राजा भोज द्वारा निर्माण किया गया भव्य बड़ा ताल के पास गौहर महल का निर्माण करवाया. गौहर महल इस्लामिक वास्तुकला का नायाब उदारण है.
1820 ई. गौहर महल तकरीबन 4.5 एकड़ के रकबे में तैयार किया गया था उस समय इसके निर्माण में बेगम कुदसिया ने बेल्जियम से कांच मंगवाकर इसके कमरों के दरवाजों में लगवाया था साथ ही महल के कमरे में अभ्रक धातु के उपयोग करके इस महल के कमरों में रात के अंधेरे में दीयो की रोशनी के सहायता से एक अद्भुत प्रकाश का निर्माण करने की कला भी इसमें मौजूद थी. महल के अंदर से रात के समय भोज ताल का नज़ारा उस समय अद्भुत था.
वर्तमान में बेगम कुदसिया का गौहर महल मध्यप्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के अधीन है. जिसे सैलानी देखने के लिए देश विदेश से भोपाल शहर पहुंचते है.
सैलानी गौहर महल केसे पहुंचे…..
गौहर महल तक परिवहन के सभी साधनों – बस (मोती मस्जिद बस स्टॉप), कार, टैक्सी, किराए की कैब, रिक्शा आदि द्वारा पहुँचा जा सकता है। औसतन, वहाँ पहुँचने में लगभग 30 मिनट लगते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन भोपाल जंक्शन है जो 3 किमी की दूरी पर स्थित है जहाँ रिक्शा या ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुँचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डा राजा भोज हवाई अड्डा, भोपाल है जो 11 किमी की दूरी पर स्थित है और निकटतम बस स्टैंड कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल है जो महल से 8 किमी की दूरी पर है. महल के लिए संबंधित स्थानों से आसानी से कैब या टैक्सी किराए पर ली जा सकती है।
One Comment