जनजाति संस्कृति को करीब से जानने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित जनजातीय संग्रहालय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद
पर्यटन स्थल/ भोपाल
भारत के ह्रदय स्थल के नाम से विख्यात मध्यप्रदेश वनवासी जनजाति संस्कृति विरासत के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या की 21% आबादी जनजाति समुदाय से आती है. जिसमें 24 जनजाति एवं इसके अंतर्गत 90 उपजाति मध्यप्रदेश में निवासरत है.
इन्ही वनवासी जनजाति(tribe)संस्कृति विरासत को देश के कोने कोने तक पहुंचाने के लिए आम जनमानस तक जनजाति समुदाय की जीवन शैली के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से सन् 2013 श्यामला हिल्स भोपाल में जनजाति संग्रहालय का निर्माण किया गया. ये देश का पहला ऐसा जनजाति संग्रहालय है. जिसे मध्यप्रदेश राज्य की सात जनजातियों की विविधता को प्रदर्शित करने वाली 6 रंगीन दीर्घाओं में विभाजित किया गया है. इसमें गोंड, सहरिया, भारिया, कोल, बैगा, कोरकू और भील जनजाति शामिल हैं.
भोपाल जनजाति संग्रहालय की भव्यता
सात एकड़ भूमि में फैला, संग्रहालय पूर्ण आकार के मॉडल और ज्वलंत कला प्रतिष्ठानों और प्रदर्शनों के माध्यम से स्थानीय जनजातीय परंपरा और संस्कृति की कहानियों को बताता है। जिसका डिजाइन रेवती कामथ ने किया.
भारत सरकार में कार्यरत विकास जी जो की दिल्ली से संग्रहालय घूमने आए हुए थे उन्होंने भारत संवाद से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के आधार में भोपाल स्थित संग्रहालय घूमने की योजना बनाई पूरी फैमिली संग यहाँ आया हूं. काफ़ी rich एक्स्पीरियंस रहा. colourful well mannered जगह है. मुझे काफ़ी पसंद आया जनजाति संस्कृति के बारे में काफ़ी डिटेल में दर्शाया गया है. जनजाति संस्कृति के अधिक प्रचार प्रसार के लिए अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के musiuem बने तो काफ़ी अच्छा होगा.
वही संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा जी ने हमारे साथ जानकारी शेयर करते हुए बताया मध्यप्रदेश की जनजाति गौरव सौंदर्यबोध को दुनिया से रूबरू करवाना शहर में रह रहे आधुनिक जीवनपद्धति के लोगों को अपनी पुरखों की संस्कृति से परिचय करवाना इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य था. यह सभी शोधार्थी विदेशी सैलानी के लिए संग्रहालय में निशुल्क गाइड की व्यवस्था है और जो भी कोई जिज्ञासा वश किसी भी प्रकार के जनजाति संस्कृति के बारे में जानना चाहता है. उसके लिए निशुल्क अमला है जो पूर्ण रूप से जानकारी प्रदान करता है। साथ ही जनजाति संग्रहालय में साल भर लोक साहित्य कला संस्कृति जैसे कार्यक्रम आयोजित होते रहते है. ये संग्रहालय ऐसा नहीं है, की इसमें मौजूद सामग्री अंतिम है.संग्रहालय में संशोधन शोधार्थ परिष्कार होते रहता है। यहां आने वाले सभी सेलानियों के लिए निरंतर एक नयापन प्रदान करता है।
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मध्यप्रदेश (madhypradesh) जनजातीय संग्रहालय प्रतिदिन (मंगलवार से रविवार) दोपहर 12.00 बजे से 08.00 बजे तक खुला होता है. सोमवार संग्रहालय का अवकाश होता है.
प्रवेश टिकट प्रति व्यक्ति 50/- तथा छात्र एवं समूह रियायती प्रवेश शुल्क रु.25/- प्रति व्यक्ति और 12 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा। उपरोक्त सभी प्रकार की टिकटे संग्रहालय के प्रवेश द्वार क्र. 01 (डिपो चैराहे की ओर रिजनल काॅलेज के पास स्थित प्रवेश द्वार) एवं 02 (बोटक्लब-वन विहार रोड़ पर स्थित प्रवेश द्वार) पर टिकट खिड़की से प्राप्त किया जा सकता हैं।
यादि आप ट्राइबल संस्कृति विरासत को करीब से जानना चाहते है. एक अनोखी विरासत का नया अनुभव प्राप्त करना चाहते है तो भोपाल में स्थित जनजातीय संग्रहालय आपके लिए एक बढ़िया रमणीय स्थल हो सकता है।