“जहां चाह है, वहां राह है” खुशहाल किसान पूरनलाल इवनाती की मिश्रित खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
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भारत के हर कोने से / प्रेरणादायक किसान
जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा से तकरीबन 75 किमी दूर स्थित ग्राम बटकखापा के पास भुमका क्षेत्र जंगलों के बीच जंगल इसलिए जब में वहा गया तो मेरे साथी ने बताया कुछ समय पूर्व यहां इसी पुलिया में शेर आकर बैठा था. ठीक उस जगह से कुछ आधा किमी की दूरी में पूरन लाल इवनाती मिश्रित एवम जैविक खेती की बेहतरीन मिशाल पेश कर रहे है। केले ,अमरूद, कटहल, आंवला, मोसम्बी, गेंहू, टमाटर,गोभी, आम , ड्रेगन फ्रूट जैसी फ़सल पूर्ण प्राकृतिक रूप से बिना पर्यावरण नुकसान के सफलतापूर्वक उत्पाद कर देश में नाम कमा रहे है।
आसान नहीं थी, पूरनलाल इवानती की ये राहें उनके अनुसार शुरुवाती दौर में काफ़ी मुश्किलों का उन्हे समाना करना पड़ा। मेहनत करने का जज्बा और में खेती में रुचि होने की वजह से आज उन्हें ये सम्मान प्राप्त हो रहा है।
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शुरुवाती दौर में उनकी 6 एकड़ जमीन इस काबिल भी नही थी की वह उसमें खेत्ती कर सकें। महाराष्ट्र के जलगांव में एक कृषि कैंप में जाने के बाद उन्हे अपने खेत में आंवला लगाने का विचार आया। 2004 में स्वयं मजदूरी करके उन्होंने अपने खेतों में तकरीबन 400 गड्डे करके स्वयं के व्यय से आंवला के छोटे पौधे आंधप्रदेश से बुला कर खेतो में लगा लिया। पौधो की देखवाल और उनकी मेहनत के बदौलत उनके आंवले के पेड़ जैविक खेती, व्यवस्थित खेतो में सरकारी संस्थाओं की नज़र पड़ने के बाद उनका समय बिल्कुल बदल गया। जब अधिकारियों ने जानकारी दी. सरकारी योजनाओं की उचित जानकारी के अभाव में उन्हे पैसे खर्च करने पड़े। फिर क्या था उसके बाद से ही जिला कृषि प्रशासन का साथ आज उन्हे देश में सम्मान दिला रहा है।
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खेत में लगे सभी उपकरण में प्रशासन ने दी सब्सिडी
पूरनलाल इवनाती के अनुसार उनकी शुरुवाती मेहनत के बाद जिला कृषि प्रशासन के सहयोग ने आज उनका जीवन पूर्णता बदल दिया। बड़े विन्रमता के साथ उन्होंने कहा में आज जो भी जीवन में सफतला प्राप्त की उसने 10% मेहनत मेरी बाक़ी 90% शासन का योगदान है आज मेरे खेत में एक बोर, ड्रिप, नोजल, मछली को पालने के लिए बनाया गया तालाब सब में शासन ने सब्सिडी प्रदान की है। मेरी रुचि थी जानकारियों के अभाव की वजह से लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता.आत्मा परियोजना, उधान विभाग कृषि विभाग कृषकों के लिए बेहतरीन कार्य कर रहे है ।
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जीवामृत बीजअमृत बनाने की विधि
पूरनलाल इवनाती जी के खेत में जीवामृत और बीजअमृत नाम से दो ड्रम में कुछ पदार्थ रखा हुआ था. उसकी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की ये जैविक तरीके से फसलों में छिड़कने वाला तरल पदार्थ है। जीवामृत इसका निर्माण के लिए 10 ली. गौ मूत्र 10 किलो गोबर 2 किलो गुड़ 2 किलो बेसन 200 ग्राम पीपल या बड़ के पेड़ के नीचे की मिट्टी को प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में, बर्तन लोहे या अन्य किसी धातु का नही होना चाहिए। दिन में दो बार मिक्षण को घुमाने के बाद ये 48 घंटो बाद उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।
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ठीक इसी तरह बीजअमृत बनाने की विधि भी है मगर उसमें 1किलो चुना भी साथ में मिलाया जाता है। बीज अमृत जहां बीज की गुणवत्ता अंकुरण क्षमता को बढ़ाता है। वही जीवामृत जमीन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
देश के अलग अलग राज्यों में कृषक प्रशिक्षण कैंप में हुए सम्मिलित
पूरनलाल इवनाती के अनुसार मध्यप्रदेश में विरले ही जिले बचे हुए होंगे जहां में ट्रेनिग में नही गया। रायपुर , जालना झलेगाव, अकोला अमरावती, देश के अन्य जिलों में ट्रेनिग का हिस्सा रहा। अब में आस पास के किसानों को कृषि फल उत्पादन जैसे विषयों में जानकारी प्रदान करता हूं। जिला प्रशासन ने भी मेरे कार्यों की सराहना की है, अन्य कृषकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत के रूप में जवाहर लाल नेहरु कृषि विश्विद्यालय कृषि उपसंचालक किसान कल्याण ने पुरुष्कार देकर सम्मानित किया।
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आगे चलकर अपने स्वय के प्रोडक्ट बनाने की है, योजना
पुरनलाल इवनाती जी अभी तक अपनी फसलों को ठेके में अन्य लोगों को बेच दे रहे है. उनके अनुसार वह ऐसी व्यवस्था के जुगाड में लगे हुए है, की वह उनके टमाटर आंवला केले की फसल से प्रोडक्ट स्वयं बनाकर एक ब्रांड के रूप में लोगों के बीच प्रस्तुत कर सकें।
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ये थे खुशहाल किसान पूरनलाल इवनाती जिनके जुनून मेहनत लगन की वजह से आज वह देश प्रदेश में सम्मान प्राप्त कर रहे है। अन्य कृषकों के लिए प्रेरणादायक किसान की भूमिका निभा रहे है।
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