शहरों में मानव निर्मित कचरों के पहाड़ पर्यावरण के ईको सिस्टम के चिंता का विषय…
पर्यावरण वार्ता।आज भारत विश्व में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है देश के अंदर तेजी से बड़े बदलाब होते जा रहे है. बड़ी- बड़ी कंपनिया कारखानों इमारतों की संरचना ने देश को विश्व के अंदर एक नई पहचान दी है. इस नई पहचान के पीछे कुछ चिंताएं वैश्विक स्तर में भारत के अंदर उत्पन हुई है. आर्थिक विकास की और बढ़ रहा भारत देश कई मामलों में भारत की जलवायु और पर्यावरण के ईको सिस्टम के लिए कई प्रकार के खतरे उत्पन कर रहा है. इन्ही खतरों में से एक खतरा है मानव निर्मित घरेलू अपशिष्ट पदार्थ आज भारत में तकरीबन प्रतिवर्ष 6.2 टन कचरा घरेलू तौर में निकलता है. इस हिसाब से औसतन एक व्यक्ति 205 किलो कचरा देश में उत्पन कर रहा है.
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अब आपने कभी सोचा है ! इतनी अधिक मात्रा में उत्पन्न WASTE जाता कहा है.सोचो.. हम बताते है आप भारत के जिस भी शहर या गांव में रहते हो आपके आस पास कचरों के ढेर से बना पहाड़ दिख ही जायेगा. जिससे डंपिंग यार्ड के नाम से जाना जाता है. देश की सरकारों द्वारा इन घरेलू अपशिष्ट से निपटने के लिए जागरूकता अभियान सहित विभिन्न योजनाओं को लागू करने में लगी हुई है फिर भी ये घरेलू अपशिष्ट का निपटारा करने में नाकाम रह रही है.
इसके पीछे मुख्य कारण रहा है.. स्थानीय लोगों में जागरूकता की कमी आज भी देश में निवासरत अधिकतर संख्या में लोगों को अपने घरेलू अपशिष्ट के तौर में निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को पृथक पृथक रखने के पीछे तर्क की जानकारी का अभाव है. लोगों को रीसाइक्लिंग की समझ नहीं है.इसकी समझ न होना एक बड़ी समस्या है. आज भी बड़े संख्या में लोग रीसाइकिल करने योग्य और रीसाइकिल ना करने योग्य उत्पादों के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं हैं। उनके अनुसार रीसाइक्लिंग समझने योग्य प्रक्रिया नहीं है। देश में ज्यादातर लोग अपने घर से निकलने वाला कूड़ा कचरा हर रोज आने वाले सफाई कर्मी को दे देते या आसपास किसी खुली जगह में फेंक देते है और उनका झंझट खत्म जिसका परिणाम होता है, कचरों के बड़े बड़े पहाड़.इन सब दुविधाओं और जागरूकता के अभाव के बीच कुछ लोग इसे निपटने के लिए आगे आए है.. कुछ नए स्टार्टअप इन WASTE की समस्या को हल करने के लिए लगे हुए है. ऐसी ही एक कंपनी I GOT GARBAGE ने अपनी रीसाइक्लिंग यूनिट तैयार की है जिसमे वह कूड़ा बीन ने वालो के साथ मिलकर काम कर रही कंपनी द्वारा कचरा
रीसाइक्लिंग यूनिट में कचरों को पृथक – पृथक किया जाता है. उनके साथ तकरीबन 8 से 10 हजार लोग काम कर रहे है जिसे अब एक बेहतरीन सैलेरी के साथ एक सुरक्षित माहौल मिल रहा है. रीसाइक्लिंग यूनिट में तकरीबन 3.5 करोड़ कचरा रिसाइकिल किया जा रहा है.कंपनी बेस्ट मैनेजमेंट के लिए तकनीकी का भी पूरी सहायता ले रही है. कंप्यूटरीकृत डेटा तैयार करती कंपनी में वेस्ट मैनेजमेंट के आंकड़ों सहित हाउस होल्ड कचरे बीनने वाले लोगों का डेटा इंटरनेट के जरिए उपलब्ध रहता है. इस डेटा में इस से जुड़ा व्यक्ति कितना कचरा रोजाना पैदा कर रहा है इसकी जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है.मतलब एक हेल्थ फिटनेस ट्रैकर के समान ही आप अपने व्यवहार को देख सकते है. आई गॉट गार्बेज कंपनी द्वारा किया जा रहा कार्य सहारहनीय है. ऐसे छोटे – छोटे प्रयास आज पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयोगी साबित हो रहे है.
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सार- आज जलवायु परिवर्तन की वजह से कई तरहों की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिसमें कही न कही इन घरेलू अपशिष्ट पदार्थों का उचित निस्तारण न होना भी एक महत्वपूर्ण वजह है.पर्यावरण संरक्षण की आवश्कता अधिक है .देश में जागरूकता अभियान के साथ लोगों के अंदर पर्यावरण संरक्षण एवं उसके क्षरण से होने वाले नुकसान को लेकर समझ बढ़ाने की आवश्कता अधिक है. I GOT GARBAGE जैसी सोच के साथ काम करने वाले लोगों की जरूरत है जो इस बिगड़ते हालात को लेकर ज्यादा से ज्यादा काम कर सके.
The content is in syndication partnership with The Green Vibe, run by The Disposal Company. Disposal company एक नए जमाने का सस्टेनेबिलिटी स्टार्टअप है जो ब्रांडों को उनके plastic waste को ऑफसेट करने में मदद करता है और उन्हें प्लास्टिक-न्यूट्रल होने में सक्षम बनाता है।
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