पर्यावरण वार्ता

सोशल मीडिया कंटेंट सस्टेनेबिलिटी रिसर्च में नई सीमाएं(Frontiers) खोलता है..

पर्यावरण वार्ता। global population का 50% से अधिक हिस्सा सोशल मीडिया में लगा हुआ है, social scientist पर्यावरण और sustainability के प्रति public attitudes का विश्लेषण करने के लिए user-generated data का उपयोग कर रहे हैं। फिर भी, एक अंतरराष्ट्रीय शोध समूह की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कई बाधाएं इस क्षेत्र की सफलता को खतरे में डालती हैं। मुख्य मुद्दा सेवा की कठोर शर्तों, प्लेटफॉर्म के बंद होने( platform closures), डेटा से छेड़छाड़(data tampering), सेंसरशिप और regulations के कारण डेटा तक सीमित पहुंच है।

जर्नल वन अर्थ में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में, 17 सदस्यों वाली एक शोध टीम ने पर्यावरणीय social media research और sustainability science पर इसके प्रभाव का पहला व्यापक मूल्यांकन किया।

विचारों की गलत व्याख्या / misinterpretation of idea

Derek Van Berkel,अध्ययन के तीन प्रमुख लेखकों में से एक और मिशिगन स्कूल फॉर एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी के एक सहायक प्रोफेसर के अनुसार, सोशल मीडिया climate change और environment से संबंधित विचारों के लिए तेजी से influential source बन रहा है। Reddit और Facebook जैसे प्लेटफ़ॉर्म digital landscape बन गए हैं जो इन में से कई concepts को आकार देते है और ढालते हैं, जो users द्वारा online communities के भीतर और social connection के माध्यम से share किए जाते हैं। ये विचार कैसे बनते हैं, इसे समझकर, science communicators अधिक प्रभावी environmental message develope कर सकते हैं और उन gaps को दूर कर सकते हैं जहां जानकारी absent या misrepresent की जा सकती है।

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शोध रिपोर्ट current negative फीडबैक loop को अधिक positive (“virtuous cycle/ पुण्य चक्र”) के साथ बदलने की वकालत करती है। जोहान्स लैंगमेयर, अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक और बार्सिलोना के Autonomous University में environmental science and technology संस्थान के एक सदस्य के अनुसार, इसे प्राप्त करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों, रिसर्चर्स और आम जनता के सहयोग की आवश्यकता होती है।

Social Media पॉवरफुल है

इज़राइल में Haifa university में Natural Resources and Environmental Management विभाग में काम करने वाले co-lead author एंड्रिया घेरमंडी का मानना ​​है कि सोशल मीडिया डेटा में विशेष रूप से social science में sustainability research practices में क्रांति(revolution) लाने की क्षमता है। अध्ययन से पता चलता है कि पर्यावरण विज्ञान में earth observation की तुलना में social media data analysis संयुक्त राष्ट्र के sustainable development growth का समर्थन कर सकता है, जो गरीबी(poverty) को समाप्त करने, planlet की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए (वैश्विक आह्वान) global call है कि हर कोई 2030 तक peace और prosperity का आनंद ले सकता है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, study author का तर्क है कि बड़े पैमाने पर, cross-country efforts और large scale data को tailor sustainability initiative की आवश्यकता है।

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तल – रेखा( bottom line)

रिपोर्ट ऑथर्स का दावा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मौजूदा बिजनेस मॉडल ने negative feedback loop बनाया है, जहां users data को एक वस्तु के रूप में माना जाता है जिसे लाभ के लिए खरीदा या बेचा जा सकता है। अधिक trust और corporation हासिल करने के लिए, sustainable researchers को high ethical standards को अपनाना चाहिए, जिसमें समावेशिता(inclusivity), पारदर्शिता(transparency), privacy protection और डेटा का responsible use शामिल है। एक sustainable future की दिशा में काम करने के shared value और objectives collaboration के लिए एक common ground प्रदान कर सकते हैं जो सोशल मीडिया के लाभों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए आवश्यक है।

The content is in syndication partnership with The Green Vibe, run by The Disposal Company. Disposal company एक नए जमाने का सस्टेनेबिलिटी स्टार्टअप है जो ब्रांडों को उनके plastic waste को ऑफसेट करने में मदद करता है और उन्हें प्लास्टिक-न्यूट्रल होने में सक्षम बनाता है।

अधिक जानने के लिए THE GREEN VIBE में जाए.

शानू प्रकाश

शानू प्रकाश हरिसिंह गौर सागर यूनिवर्सिटी से साइंस से स्नातक है. वर्तमान में पीएससी एसएससी की एस्पिरेंट है. माइथोलॉजिकल विषय में लिखने पढ़ने का शौक है।

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