पर्यावरण वार्ता

प्रकृति से प्राप्त अनमोल उपहार फूल(PHOOl) पर्यावरण के ईको सिस्टम और नदियों के लिए बन रहे घातक

पर्यावरण। भारत आस्थाओं का देश है, भारत में विभिन्न संप्रदायो पंथों को मानने वाले लोग बसते है. इन संप्रदायों पंथों की पूजा पद्धति में कोई चीज वस्तु सर्व सामान्य नज़र आएगा तो वह है उनकी पूजा पद्धति करने में फूलों का उपयोग. हिंदू- मुस्लिम ईसाई या अन्य किसी भी धर्म की पूजा पद्धति में उपयोग किया जाने वाली एक वस्तु समान रूप से मौजूद रहती है तो वह है फूल. मंदिरों से लेकर मस्जिद मजार अन्य किसी भी धार्मिक स्थलों में फूल की उपलब्धता सुलभ ही नजर आती है. ऐसे में हम कह सकते है फूलों की सुंदरता और खुशबू अपने ईष्ट को आकर्षित करने के लिए श्रद्धालालू के लिए पहली पसंद है.विभिन्न प्रकार के आयोजनों से लेकर शादी समारोह में फूलों का उपयोग किसी से छुपा नहीं है.

पर क्या आप जानते है ! इन फूलों का अत्यधिक उपयोग अब पर्यावरण इको-सिस्टम के लिए नुकसान पहुंचाने का कार्य कर रहा है.जी हां फूलों का अत्यधिक उपयोग अब पर्यावरण ईको सिस्टम के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है.श्रद्धालु चाहे वह किसी भी धर्म के मानने वाले शख्स हो उनके लिए फूल प्रकृति से प्राप्त इस अनुपम भेंट को अपने इष्ट को प्रसन्न करने एवं अपने किसी भी बड़े आयोजनों में इसका उपयोग करने की प्रवृत्ति ने इसकी मांग को बढ़ाने का काम किया है.

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ऐसे में इसकी मांग और आपूर्ति के लिए बढ़े पैमाने में फूल की पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक पदार्थ एवं कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है. इन रासायनिक पदार्थ एवं कीटनाशकों से फूलों की मांग और आपूर्ति तो पूर्ण हो जा रही है किंतु ये सब फूलों के उपयोग के बाद इन फूलों का क्या किया जाता है ? आपने कभी सोचा है ! ज्यादातर श्रद्धालुओं द्वारा उपयोग में लिया जाने वाले फूलों को सूखने और खराब हो जाने की स्थिति में नदियों नालों जल स्रोत में प्रवाहित किया जाता है. जर्मन मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 88 हजार टन फूलों की मात्रा गंगा नदी सहित देश के अन्य नदी जल स्रोत में प्रवाहित की जाती है.रासायनिक और कीटनाशकों से उपजे फूल जब गंगा नदी सहित देश के अन्य जल स्रोत में प्रवाहित किए जाते है तो उनमें मौजूद केमिकल की मात्रा इन जल स्रोतो के जल में मौजूद संवेदनशील बायो ईको सिस्टम को मार देते है इन नदियों जल स्रोत में बसने वाले अन्य जीवों के लिए भी नुकसान दायक है.

ऐसे में कानपुर के एक शख्स अंकित अग्रवाल द्वारा धीरे -धीरे फूलों में घुलनशील रासायनिक पदार्थों से गंगा नदी के आस पास के क्षेत्रों में प्रवाहित फूलों से खत्म होते जा रहे ईको सिस्टम और गंगा नदी को बचाने की एक छोटी कोशिश की जा रही है.

PHOOl कंपनी के माध्यम से गंगा नदी के आसपास के ईको सिस्टम के बेहतरी के लिए कर रहे है, कार्य…

Phool.co एक भारतीय बायोमैटेरियल्स स्टार्टअप है, जिसकी स्थापना 2017 में अंकित अग्रवाल और प्रतीक कुमार द्वारा की गई. जो कानपुर शहर में नदियों में फेंके गए मंदिर के फूलों के कचरे को इकट्ठा करने के कार्य कर रही है यह भारत भर के मंदिरों से फूलों का उपयोग करता है और गुलाब की अगरबत्ती, फूल वर्मीकम्पोस्ट जैसे उपयोगी उत्पाद बनाता है। 2017 में स्थापित, कंपनी द्वारा अब तक 11,060 मीट्रिक टन मंदिरों से निकलने वाले फूलों के कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया जा चुका है. अंकित अग्रवाल की कंपनी PHOOl के द्वारा किया जाने वाला कार्य इतना प्रोत्साहित करने वाला है की उन्हे अब तक the world changing idea, यूनिलीवर उद्यमी , स्प्रिट ऑफ manufacturing पुरुष्कारों से नवाजा जा चुका है.

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कैसे करती है कार्य ? PHOOl. CO

धार्मिक स्थलों आयोजनों से निकलने वाले फूलों को कंपनी इकठ्ठा करती है और उन्हें अपनी यूनिट तक लेकर आती है. फिर इन्हें यूनिट में धोकर इन से कीटनाशक रासायनिक पदार्थों को हटाया जाता है.इसके पश्चात इन फूलों को एक लंबी प्रक्रिया से गुजारने के बाद अगरबत्ती धूपबत्ती गुलाल का निर्माण किया जाता है. PHOOl. CO द्वारा निर्मित प्रोडक्ट की पैकेजिंग के लिए भी एक ऐसी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जिससे पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य हो सके. कंपनी की पैकेजिंग में उपयोग लाने वाले कागजों में औषिधि पौधो के बीज मिलाए जाते हैं उपयोग के बाद आप जब उस PHOOl कंपनी के पैकेट को भूमि में गाड़ देंगे तो उसमे से एक पौधा उग जायेगा इस तरह कंपनी ईको सिस्टम के बेहतरी के लिए कार्य कर रही है.

ऐसे में हम कह सकते है देश सहित विश्व के ईको सिस्टम और पर्यावरण संरक्षण के लिए अंकित अग्रवाल जैसी सोच के अनेक युवाओं की जरूर है.. जो आज बिगड़ते पर्यावरण के लिए नए और बेहतर विचारों के माध्यम से कार्य करें. साथ ही अब लोगों को अत्यधिक बिगड़ते जा रहे ईको सिस्टम के प्रति जागरूक होने की आवश्कता है।

The content is in syndication partnership with The Green Vibe, run by The Disposal Company. Disposal company एक नए जमाने का सस्टेनेबिलिटी स्टार्टअप है जो ब्रांडों को उनके plastic waste को ऑफसेट करने में मदद करता है और उन्हें प्लास्टिक-न्यूट्रल होने में सक्षम बनाता है।

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AD Sahu

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।

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