मध्य प्रदेश के 22% आदिवासियों के लिए ये है शिवराज सरकार की तीन योजनाएं
प्रदेश के 22% आदिवासियों को शिवराज सरकार तोहफा
22% आदिवासी वोटरों को खुश करने के लिए शिवराज सरकार ने तीन बड़ी योजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के लिए भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण एवं मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष वित्तपोषण योजना की स्वीकृति प्रदान की है।
मध्य प्रदेश की 230 में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है।
पिछले साल जब जनजातीय दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। तब से ही लगातार आदिवासी तबकों पर सरकार का फोकस है। केंद्र की राजनीति में राष्ट्रपति चुनावों में भी भाजपा ने यह साबित करने की कोशिश की कि वह आदिवासी वर्ग की सबसे बड़ी हितैषी है।
2011 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश की आबादी में करीब 22% वोट अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों का है। इस वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। वहीं, करीब 80 सीटों पर आदिवासी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2003 में भाजपा ने आरक्षित 41 में से 37 सीटों पर कब्जा किया थआ। इसके बाद 2008 में आरक्षित सीटें बढ़कर 47 हो गई, तब भी भाजपा ने 29 सीटों और 2013 में 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2018 में कांग्रेस ने 30 और भाजपा ने सिर्फ 16 सीटें जीती थीं। इस वजह से सत्ता छिटककर कांग्रेस के पास आ गई थी।
आदिवासी कल्याण योजनाओं के माध्यम से शिवराज पुनः आदिवासियों को चुनाव पूर्व में करने के प्रयास में जुट गए हैं|
यह है तीन नई योजनाएं–
-भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना में विनिर्माण गतिविधियों के लिए एक लाख से पचास लाख रुपये तक तथा सेवा व व्यवसाय गतिविधियों के लिए एक लाख से 25 लाख रुपये तक की परियोजनाएं स्वीकृत की जाएगी। योजना का लाभ लेने वाले परिवार की वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। योजना में हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित एवं शेष ऋण पर 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम सात वर्षों तक (मोरेटोरियम अवधि सहित) निगम द्वारा वहन किया जाएगा।
-टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना में ऐसे अनुसूचित जनजाति के सदस्य, जो आयकरदाता नहीं हो, जिनकी उम्र 18 से 55 वर्ष के मध्य हो, उन्हें सभी प्रकार की स्वरोजगार गतिविधियों के लिए 10 हजार से एक लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए बैंको से ऋण दिलवाकर हितग्राही को सात प्रतिशत ब्याज अनुदान तथा बैंक ऋण गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम पांच वर्षों के लिए दिया जाएगा।
-मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति विशेष परियोजना वित्त पोषण योजना में मुख्यत: अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को लाभान्वित करने कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यानिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, ऊर्जा, तकनीकि शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार, आयुष और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आदि से से मदद की जाएगी। योजना में स्व-रोजगार, आजीविका, कौशल उन्नयन, संवर्धन एवं नवाचार सबंधी परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर वित्त पोषण किया जाएगा। परियोजना में कम से कम 50 प्रतिशत लाभार्थी अनुसूचित जनजाति वर्ग के होना अनिवार्य होगा।
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