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होली के सात दिन पहले मेला लगाकर तय की जाती है शादी,अजब एमपी की गजब कहानी !

संस्कृति/ जनजाति / परिधान

Bhagoria festival: भारत एक अनोखा देश है, इसमें हमेशा से ही अलग – अलग संस्कृति धर्म समुदाय जात पंथ के लोगों द्वारा अपने – अपने पर्वो त्योहार को बड़े उत्साह पूर्वक मनाया जाता रहा है।

कुछ धर्म जाति समुदाय पंथ की पूजा पद्धति अपने त्योहार मानने का तरीका बड़ा ही अनोखा होता है, जिससे हमेशा ही अन्य लोगों में उत्सुकता रहती है। इन त्योहारों पर्वो को पास से देखने की जानने की ऐसा ही एक त्योहार मेला के रूप में होली से सात दिन पूर्व एमपी के अलीराजपुर धार खरगोन बड़वानी में रहने वाली जनजातियों द्वारा “भगोरिया” मनाया जाता है।

” भगोरिया” जनजातियों द्वारा मनाया जाने वाला पारंपरिक जनजातीय त्योहार है। ऐतिहासिक रूप से, इस आकर्षक आयोजन का आरंभ राजा भोज के शासनकाल के दौरान हुआ था। होलिका दहन से एक सप्ताह पूर्व लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह एक वार्षिक उत्सव है।

इसमें इन जनजातीय क्षेत्रों के आसपास के सभी गांवों के लोग हाट/मेला और सड़कों पर एकत्रित होते हैं। ये हाट स्थानीय व्यंजनों, झूलों और खेल-तमाशों से परिपूर्ण होते हैं।

ऐसे युवा लड़के-लड़कियां जो विवाह के बंधन में बंधना चाहते हैं, वे इन मेलों में पारंपरिक पोशाकें पहनकर, अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। भगोरिया (bhagoria festival) उत्सव अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, जहां युवा लड़के-लड़कियों को अपना जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता होती है।

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भगोरिया उत्सव में पान खिलाता युवक

क्यों मनाया जाता है, “भगोरिया” उत्सव

मान्यता के अनुसार राजा भोज के शासन काल में शुरुआत हुई थी। भगोरिया पर्व की भोज के समय के दो भील राजाओ कासूमरा और बलून ने अपने राजधानी में भगोर मेले का आयोजन शुरू किया था। जिसे देखकर अन्य भील राजाओं ने इसका अनुसरण किया। उस समय इसे “भगोर” कहा जाता था। शब्दो के अपभंश और स्थानीयता के प्रभाव के बाद इसे “भगोरिया” कहा जाने लगा।

अनोखे तरीके से जनजाति युवकों द्वारा जनजाति युवतियों को किया जाता है, प्यार का इजहार

भगोरिया उत्सव में युवक युवतियों अपने लिए जीवन साथी की तलाश करते है। जब किसी युवक को कोई युवती पसंद आ जाती है, तब वह उसे पान दे देता है। यदि वह युवती उस पान को खा लेती है, तो इसे युवती की हां समझा जाता है। फिर युवक उसे मेला से लेकर चले जाता है, और दोनों शादी कर लेते है। इसके साथ ही भगोरिया मेले को लेकर एक और कहानी प्रचलित है। अगर लड़का और लड़की एक-दूसरे के गाल गुलाबी रंग लगा दें तो इसे भी प्यार का इजहार समझा जाता है। हालांकि बदलते वक्त के साथ भगोरिया मेले का रिवाज भी बदल रहा है। अब मेले पर आधुनिकता ज्यादा हावी हो रहा है।

AD Sahu

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।

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